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Water cess on hydropower projects will not affect the general public of the state

प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राज्य सरकार आर्थिक संसाधनों में वृद्धि के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। हिमाचल प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं पर लगाया गया जल उपकर (वाटर सेस) इन्हीं मंे से एक है।

उन्होंने बताया कि इस उपकर के दायरे में प्रदेश की 172 जल विद्युत परियोजनाओं को लाया गया है। उन्होंने कहा कि केवल इन्हीं चिन्हित जल विद्युत परियोजनाओं से ही राज्य सरकार जल उपकर वसूल करेगी और राज्य के आम जन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया गया है।

प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने राजस्व में वृद्धि करने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं और वाटर सेस लागू करना भी ऐसा ही एक उपाय है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के आर्थिक संसाधनों में वृद्धि और राज्य की अर्थव्यस्था को संबल प्रदान कर राजस्व में बढ़ोतरी करना है, ताकि जन कल्याणकारी नीतियों के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन उपलब्ध हो सके। उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार जल विद्युत परियोजनाओं से वाटर सेस की राशि परियोजना के आकार सहित विभिन्न पहलुआंे को ध्यान में रखकर वसूल करेगी।

प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 10 मार्च, 2023 से हिमाचल प्रदेश वॉटर सेस ऑन हाईड्रोपावर जनरेशन अध्यादेश लागू कर दिया गया है तथा आगामी विधानसभा सत्र में हिमाचल प्रदेश वॉटर सेस ऑन हाईड्रोपावर जनरेशन विधेयक 2023 भी लाया जाएगा, जिसके लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। https://www.tatkalsamachar.com/shimla-courtesy-call-panchayat/

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